नई दिल्ली: चमगादड़ (Bats) अपने अनोखे स्वभाव और रात में उड़ने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं, वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्यमयी पहेली बने हुए हैं। भले ही इन्हें कोरोना वायरस के कारण बदनामी मिली हो, लेकिन इनके शरीर में ऐसी जैविक शक्तियां छिपी हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकती हैं। इनमें सबसे चौंकाने वाली खासियत है, कैंसर से उनकी सुरक्षा।
रॉचेस्टर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक ताजा अध्ययन में खुलासा किया है कि चमगादड़ों की विशेष जैविक प्रणालियां उन्हें कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचाती हैं। नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित इस शोध के अनुसार, कुछ सामान्य चमगादड़ प्रजातियां ऐसी अनोखी क्षमताओं से लैस हैं, जो उन्हें 35 वर्षों तक कैंसर से मुक्त रखती हैं, जो मानव उम्र के हिसाब से लगभग 180 साल के बराबर है।
कैंसर के खिलाफ चमगादड़ों की जैविक शक्ति
शोधकर्ताओं ने पाया कि चमगादड़ों में कैंसर को रोकने वाली एक विशेष जैविक व्यवस्था होती है। मनुष्यों और चमगादड़ों दोनों में पी53 नामक जीन पाया जाता है, जो ट्यूमर को दबाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह जीन असामान्य कोशिकाओं को नष्ट करके कैंसर को पनपने से रोकता है। मानव शरीर में कैंसर के लगभग आधे मामलों में पी53 जीन में खराबी आ जाती है, जिससे यह प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पाता। लेकिन न्यूयॉर्क के रोचेस्टर क्षेत्र में पाई जाने वाली “लिटिल ब्राउन बैट” प्रजाति में इस जीन की दो प्रतियां होती हैं, और यह इंसानों की तुलना में कहीं अधिक सक्रिय होती है।
कोशिकाओं की स्व-मरम्मत और संतुलन की कला
चमगादड़ों में पी53 जीन की सक्रियता कैंसर कोशिकाओं को उनके शुरुआती चरण में ही खत्म कर देती है, एक प्रक्रिया जिसे अपोप्टोसिस कहते हैं। हालांकि, अगर यह जीन जरूरत से ज्यादा सक्रिय हो जाए, तो यह स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचा सकता है। चमगादड़ों में एक अनोखा तंत्र होता है जो इस सक्रियता को संतुलित रखता है, जिससे केवल हानिकारक कोशिकाएं ही नष्ट होती हैं।
इसके अलावा, चमगादड़ों में टेलोमेरेज नामक एंजाइम की प्राकृतिक सक्रियता उनकी कोशिकाओं को बार-बार विभाजन करने और उम्र बढ़ने या चोट के बावजूद खुद की मरम्मत करने में सक्षम बनाती है। यह एंजाइम अगर अनियंत्रित हो जाए तो कैंसर का कारण बन सकता है, लेकिन चमगादड़ों में पी53 जीन इसे नियंत्रित रखता है, जिससे कैंसर का खतरा न्यूनतम रहता है।
मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली: स्वस्थ जीवन की कुंजी
चमगादड़ों की प्रतिरक्षा प्रणाली असाधारण रूप से मजबूत होती है। यह न केवल खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया से लड़ती है, बल्कि कैंसर कोशिकाओं को भी जल्दी पहचानकर नष्ट कर देती है। जहां इंसानों में उम्र के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है और सूजन बढ़ने लगती है, वहीं चमगादड़ सूजन को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह संतुलित और शक्तिशाली प्रतिरक्षा प्रणाली चमगादड़ों को उम्र से संबंधित बीमारियों और कैंसर से सुरक्षित रखती है।
क्या यह शोध मानवता के लिए वरदान बन सकता है?
कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे विकसित होती है और उम्र के साथ इसका खतरा बढ़ता जाता है। कोशिकाओं में होने वाले बदलाव (म्यूटेशन) लंबी उम्र, प्रदूषण, या अस्वास्थ्यकर जीवनशैली के कारण बढ़ सकते हैं। शोध में यह बात सामने आई कि चमगादड़ों की कोशिकाएं केवल दो म्यूटेशन के बाद ही कैंसर कोशिकाओं में बदल सकती हैं, फिर भी उनकी मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली और पी53 जीन की सक्रियता उन्हें कैंसर से बचाए रखती है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि पी53 जीन की सक्रियता को सुरक्षित रूप से बढ़ाकर कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने या उनकी वृद्धि को धीमा करने की रणनीति मानव उपचार में प्रभावी हो सकती है। कई मौजूदा कैंसर दवाएं पी53 को लक्षित करती हैं, और इस क्षेत्र में और शोध चल रहा है। इसके अलावा, टेलोमेरेज एंजाइम को नियंत्रित रूप में सक्रिय करने की संभावना भविष्य में कैंसर के इलाज का नया रास्ता खोल सकती है। यह शोध न केवल कैंसर के खिलाफ लड़ाई में नई उम्मीदें जगाता है, बल्कि उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को समझने और मानव जीवन को स्वस्थ बनाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।