Liquefied Natural Gas उत्सर्जन में 60% तक की कमी संभव

यह रिपोर्ट वैश्विक एलएनजी आपूर्ति से जुड़े उत्सर्जन का विश्लेषण करती है और इसे कम करने के प्रभावी उपाय सुझाती है। रिपोर्ट के अनुसार, एलएनजी की आपूर्ति श्रृंखला से हर साल लगभग 350 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित होती हैं।

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नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) International Energy Agency ने अपनी हालिया रिपोर्ट में बताया है कि उपलब्ध तकनीकों का उपयोग करके तरलीकृत प्राकृतिक गैस (Liquefied Natural Gas) की आपूर्ति श्रृंखला से होने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 60 प्रतिशत से अधिक कम किया जा सकता है। यह रिपोर्ट वैश्विक एलएनजी आपूर्ति से जुड़े उत्सर्जन का विश्लेषण करती है और इसे कम करने के प्रभावी उपाय सुझाती है।

रिपोर्ट के अनुसार, एलएनजी की आपूर्ति श्रृंखला से हर साल लगभग 350 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित होती हैं। इसमें 70% उत्सर्जन कार्बन डाइऑक्साइड और 30% मीथेन के रूप में होता है, जो बिना जले वातावरण में पहुंच जाती है। इस श्रृंखला में गैस उत्पादन, प्रसंस्करण, पाइपलाइन परिवहन, तरलीकरण, शिपिंग और पुनर्गैसीकरण जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं।  

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर प्रति मेगाजूल ऊर्जा के लिए एलएनजी से औसतन 20 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन होता है, जबकि सामान्य प्राकृतिक गैस से यह 12 ग्राम है। उत्सर्जन की मात्रा देश और आपूर्ति मार्गों के आधार पर बदलती है। 2024 में एलएनजी खपत से जुड़े 99% से अधिक उत्सर्जन कोयले की तुलना में कम थे, औसतन कोयले से 25% कम। फिर भी, आईईए का कहना है कि एलएनजी को सिर्फ कोयले से बेहतर बताना पर्याप्त नहीं है, क्योंकि इसकी आपूर्ति श्रृंखला में उत्सर्जन कम करने की व्यापक संभावनाएं हैं।  

उत्सर्जन में कमी के उपाय

रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा तकनीकों से उत्सर्जन में 60% से अधिक की जा सकती है। कई उपाय तो कम लागत में भी संभव हैं। उदाहरण के लिए, मीथेन रिसाव रोकने से हर साल 90 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन कम हो सकता है, जो कुल उत्सर्जन का लगभग 25% है। इसमें से आधा उपाय बिना अतिरिक्त लागत के लागू हो सकता है। इसके अलावा, गैस जलाने (फ्ल रिंग) को नियंत्रित करके हर साल 5 मिलियन टन उत्सर्जन घटाया जा सकता है।  

110 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन हो सकता है कम

अन्य प्रभावी उपायों में आपूर्ति श्रृंखला को ऊर्जा-कुशल बनाना और तरलीकरण संयंत्रों में कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (सीसीयूएस) तकनीक का उपयोग शामिल है। यदि गैस उत्पादन इकाइयों और एलएनजी टर्मिनलों को कम उत्सर्जन वाली बिजली से संचालित किया जाए, तो 110 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन और कम हो सकता है। हालांकि, कुछ उपायों की शुरुआती लागत अधिक हो सकती है, लेकिन ये दीर्घकाल में पर्यावरण के लिए लाभकारी हैं। आईईए की यह रिपोर्ट एलएनजी उद्योग के लिए एक रोडमैप प्रस्तुत करती है, जो स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरूरत पर जोर देती है।

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