नई दिल्ली: 90 के दशक की सुपरस्टार काजोल (Kajol) ने ‘बाजीगर’ (Baazigar) (1993), ‘ये दिल्लगी’ (Yeh Dillagi) (1994), ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ (Dilwale Dulhania Le Jayenge) (1995) और ‘कुछ कुछ होता है’ (Kuch Kuch Hota Hai) (1998) जैसी फिल्मों से फैंस के दिलों में खास जगह बनाई। 1992 में ‘बेखुदी’ (Bekhudi) से अपने करियर की शुरुआत करने वाली काजोल ने अजय देवगन (Ajay Devgn) से शादी की और नीसा व युग की मां बनीं। हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने मातृत्व के अनुभव और बच्चों के साथ रिश्तों पर खुलकर बात की। काजोल ने बताया कि उनकी मातृत्व यात्रा सीख से भरी रही है, जिसमें कई बार वह खुद को असमंजस में पाती हैं।
काजोल ने खुलासा किया कि उनकी बेटी नीसा (Neesa) के साथ डाइनिंग टेबल पर अक्सर बहस होती थी। खाने को लेकर होने वाली इन तकरारों ने उन्हें जिंदगी के कई सबक सिखाए। एक बार नीसा ने कहा, मां, शांत रहो। मुझे पता है मैं क्या कर रही हूं। भूख लगेगी तो खा लूंगी। इस जवाब ने काजोल को चौंका दिया। उन्होंने महसूस किया कि उनके बच्चे उन्हें कई बार छोटे-छोटे तरीकों से जिंदगी का नया नजरिया देते हैं। काजोल ने कहा, मेरे बच्चे मुझे दो शब्दों में बता देते हैं कि मैं गलत हो सकती हूं। यह मेरे लिए आश्चर्यजनक था।
नीसा के बोर्डिंग स्कूल जाने और लंदन में अच्छा प्रदर्शन करने से काजोल को सुकून मिला। उन्होंने अपनी बेटी से धैर्य और शांति रखना सीखा। काजोल ने बताया, मैंने नीसा से सीखा कि उसे भूख लगेगी तो वह खा लेगी। मुझे उसकी चिंता छोड़नी थी। वह मानती हैं कि उनके बच्चे उन्हें बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देते हैं। काजोल ने कहा, मुझे नहीं लगता कि मैं अच्छी मां कहकर अहंकार करती हूं, लेकिन मेरे बच्चे मुझे बेहतर इंसान बनाते हैं। डाइनिंग टेबल पर हुई इन बहसों ने उन्हें न केवल मातृत्व, बल्कि जीवन के कई पहलुओं को समझने में मदद की।