- मैं जिंदगी को एक जंगल की तरह देखता हूं, जिसमें एक शेर और एक हिरण रोज जागते हैं। दोनों भागते हैं। हिरण भागता है क्योंकि अगर नहीं भागा तो खा लिया जाएगा। और शेर भागता है क्योंकि अगर नहीं भागा तो भूखा मर जाएगा। आप चाहे शेर हो या हिरण-भागना तो है…दिव्यांक बत्रा
सवाल: UPSC-CAPF फाइनल एग्जाम क्रैक किया है। मेरा पहला सवाल इसी से जुड़ा है कि फाइनल एग्जाम क्रैक कर लेने से क्या आपको अपना भी फाइनल गोल भी मिल गया? कहने का मतलब यह कि आपकी जिंदगी का क्या लक्ष्य है, क्या पाना, हासिल करना चाहते हैं?
जवाब: यहां तक आना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है, पर नहीं-यह मेरा लक्ष्य नहीं, केवल एक सीढ़ी है। मेरा लक्ष्य हमेशा से कुछ ऐसा करने का रहा है, जिससे देश की सेवा कर सकूं। उन लोगों के लिए कुछ कर सकूं, जिनसे कभी मेरी मुलाकात नहीं होगी। और उनके लिए कर सकूं, जिनके लिए कोई कुछ नहीं करता। तो लक्ष्य अभी अधूरा है, पर यकीनन जल्दी पूरा भी होगा।
सवाल: कैसे? इसे पा लेने के पीछे की वजह क्या देख पाते हैं आप खुद में? मतलब आपको यही क्यों होना है?
जवाब: वह इसलिए कि मैं देख पाता हूं मेरा अडिग रहना और कभी हार न मानना। चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, करना है तो करना है। और बचपन से मैं ऐसे लोगों के साथ रहा हूं जिन्होंने यही सिखाया है कि सबसे अच्छी जगह वही होती है, जहां इंसान की परख होती है-न कि उसके रूप, पैसे या ताकत की। फौज से अच्छी जगह इसके लिए पूरी दुनिया में कहीं नहीं है। मेरी इच्छा भी यही है कि जल्दी ही कमीशन होकर आखिरी सांस तक अपने लोगों और अपनी माटी की सेवा कर सकूं।
सवाल: जिंदगी को आप कैसे देखते हैं?
जवाब: एक मूवी की बहुत अच्छी लाइन है-मैं जिंदगी को एक जंगल की तरह देखता हूं, जिसमें एक शेर और एक हिरण रोज जागते हैं। दोनों भागते हैं। हिरण भागता है क्योंकि अगर नहीं भागा तो खा लिया जाएगा। और शेर भागता है क्योंकि अगर नहीं भागा तो भूखा मर जाएगा। आप चाहे शेर हो या हिरण-भागना तो है।
यही कहना चाहूंगा कि जिंदगी बहुत कीमती है और बहुत अनिश्चित भी। तो एक लक्ष्य के लिए जियो-उसके लिए सब कुछ कुर्बान हो जाए तो भी कोई चिंता नहीं। बस जब भी कोई आपका नाम ले, तो उसे फख्र हो कि हां, इस इंसान ने अपनी जिंदगी को बर्बाद नहीं किया-उसका हर एक सेकंड सही जगह इस्तेमाल किया।
सवाल: कामयाबी को आप कैसे मापते हैं? कामयाबी भौतिक समृद्धि, धन-धान्य से आती है या इसका कोई दूसरा फार्म भी हो सकता है?
जवाब: कामयाबी की कोई एक परिभाषा नहीं है-हर इंसान इसे अलग-अलग तरह से समझता है। मेरे लिए कामयाब इंसान वह है जो खुद से ज्यादा दूसरों के लिए जीता है, और जिसके मन में शांति हो। मेरे लिए ये धन-दौलत, गाड़ियां-ये सबके पास हो सकते हैं। लेकिन लोगों का साथ, लोगों का प्रेम, लोगों की इज्जत-जिसके पास ये सब हों, मैं उसे ही वास्तव में कामयाब मानता हूं।
रूप तो कामयाबी के बहुत हैं-किसी के लिए सरकारी नौकरी कामयाबी है, किसी के लिए बहन की शादी करवाना कामयाबी है, किसी के लिए मां के लिए कुछ करना कामयाबी है, तो किसी के लिए पिता जी के साथ बिजनेस संभालना कामयाबी है। जिस भी रूप में हो-अगर आप खुश हैं, आपके मन में शांति है, और आप अपने काम से प्यार करते हैं-तो आप मेरी नजरों में कामयाब हैं।
सवाल: खैर, आपने कब सोचा कि सीएपीएफ एग्जाम देना है?
जवाब: फौज का मन तो बचपन से ही था, उसके लिए मैंने 7 SSB भी फेस किए हैं। इसमें मेरे पिताजी का बचपन से मोटिवेट करना एक बड़ा कारण है। दूसरा कारण BSF एरिया के पास होने की वजह से है-बचपन में मैंने बहुत समय वहां बिताया है। पता इस बात का NDA परीक्षा की तैयारी के समय लगा, जब कुछ BSF अधिकारियों ने इसके बारे में बताया था। तभी से लगे हुए हैं। घर या पूरे परिवार में कोई भी फौज में नहीं गया है-अपनी पूरी ब्लड लाइन का मैं पहला इंसान हूं, इसलिए जिम्मेदारी भी ज्यादा है।
सवाल: UPSC का एग्जाम बहुत टफ होता है, स्टडी तो बहुत करनी पड़ी होगी?
जवाब: बिलकुल, परीक्षा बहुत कठिन है-हर चरण पर आपको अपना सर्वश्रेष्ठ देना होता है। मेरी दिनचर्या पिछले 4 सालों से एक ही है-आंख खुलने से लेकर आंख बंद होने तक किताबें सामने होनी चाहिए। और मन से यह ठान लिया है कि रोजाना के लक्ष्य हर हाल में पूरे करने हैं। जिसमें मैंने रोज़ाना 13 घंटे से लेकर 15 घंटे तक पढ़ाई की है, कभी-कभी इससे भी ज्यादा।
- जो सफल नहीं हुए, उनके लिए… हर दिन सुबह उठकर खुद से सिर्फ यही कहना है- होगा, बिल्कुल होगा! जिस दिन होगा-दुनिया देखेगी। हार नहीं माननी है-हर उस इंसान के लिए करना है, जिसने साथ दिया और जिसने नहीं दिया-उसे दिखाना है कि मेहनत से क्या-क्या हासिल किया जा सकता है।
सवाल: तैयारी के दौरान आपने कहीं और से भी मदद ली? मतलब कोचिंग की या किसी ने मार्ग दर्शन किया हो?
जवाब: मैंने अपनी पढ़ाई ऑनलाइन माध्यम से ही की है। अलग-अलग कोचिंग की फ्री क्लासेज और लेक्चर्स से मुझे काफी मदद मिली है। कुछ ऐसे चैनल्स हैं जो बहुत अच्छा कंटेंट देते हैं, और साथ ही टेस्ट सीरीज के ऑनलाइन टेस्ट फायदेमंद रहे।
मुझे ऐसा लगता है कि एक उम्मीदवार का असली धन है-गुरु। क्योंकि गुरु ही शिष्य की प्रतिभा को परखकर उसे सही राह दिखाता है। गुरु जानता है कि क्या, कब और कैसे करना है। तो कुछ ऐसे लोग हैं, मेरी जिंदगी में जिनका मुझे बहुत साथ मिला-उन्होंने हमेशा सही मार्गदर्शन दिया, सही रास्ते पर रखा। इससे यह तो नहीं कहूंगा कि तैयारी आसान हो जाती है, पर इस मार्गदर्शन से संशय दूर हो जाते हैं, जिससे तैयारी में बहुत मदद मिलती है।
सवाल: आप मानते हैं कि यूपीएससी की परीक्षा क्रैक करना सिर्फ मेहनत से संभव होता है या किस्मत का भी कुछ कनेक्शन है इसमें?
जवाब: मुझे लगता है मेहनत और किस्मत में बहुत ही खास रिश्ता होता है, जिसमें मेहनत करने से ही किस्मत बनती है। जैसे चाय बनाते वक्त सारे सामान का उपलब्ध होना किस्मत है, लेकिन चाय बनाना मेहनत है। किस्मत की शुरुआत होती है मेहनत से-बिना मेहनत के किस्मत कुछ नहीं। और कर्म ही पूजा है-यह हमारे बड़े लोग बचपन से सिखाते आए हैं। तो बिना कर्म के कुछ नहीं होगा, लेकिन सोने पे सुहागा कहा जाता है-उसके लिए किस्मत भी जरूरी है।
सवाल: वो जो एक्जाम क्रैक नहीं कर सके, उनको क्या कहना चाहेंगे?
जवाब: मैंने भी 10 से ज्यादा ऑफिसर लेवल की परीक्षाएं दी हैं और क्लियर भी की हैं, लेकिन फाइनल सिलेक्शन नहीं हुआ। उन सबसे बस यही कहना चाहूंगा कि आखिरी अटेम्प्ट तक मेहनत करनी है। हर दिन सुबह उठकर खुद से सिर्फ यही कहना है- होगा, बिल्कुल होगा! जिस दिन होगा-दुनिया देखेगी। हार नहीं माननी है-हर उस इंसान के लिए करना है, जिसने साथ दिया और जिसने नहीं दिया-उसे दिखाना है कि मेहनत से क्या-क्या हासिल किया जा सकता है।
सवाल: आप अपने बारे में बताइए। घर, मम्मी-पापा, भाई-बहन कहां रहते हैं? क्या करते हैं?
जवाब: जी, मैं मध्य प्रदेश के चंबल क्षेत्र की एक तहसील का रहने वाला हूं। घर में केवल 3 ही सदस्य हैं-पिताजी, माताजी और मैं। मेरे कोई भाई या बहन नहीं है। माताजी घर संभालती हैं और साथ ही एक साइड बिजनेस भी- सूट, कुर्ती और लेडीज क्लोदिंग का। और मेरे पिताजी की एक फैमिली शॉप है-घड़ियों की।
सवाल: पढ़ाई घर से, पापा-मम्मी के साथ रहकर की या घर छोड़ना पड़ा?
जवाब: किस्मत वाला हूं कि मेरे समय में ऑनलाइन पढ़ाई काफी आगे बढ़ गई थी। इसलिए मुझे घर नहीं छोड़ना पड़ा। घर से ही सारी पढ़ाई मैंने की है, जिससे मैं घरवालों के साथ समय भी बिता पाया और पढ़ाई भी कर पाया।
सवाल: पहली बार कब अकेले निकले? कैसा लगा था, परिवार से दूर होकर?
जवाब: पहली बार घर से अकेला 2023 में गया था, SSB का एग्जाम देने, मैसूर। तब कुछ अलग ही एहसास था-वहीं पर समझ आ गया था कि यह एक नई शुरुआत का आगाज है। तब से अब तक बहुत कुछ सीखा है। और हां, घर से दूर जाने पर मन तो विचलित होता है, लेकिन मन में ठान लिया था कि कुछ करना है-तो खुद को संभाला। चार साल दिन-रात मेहनत की-और अब उसकी भरपाई की शुरुआत हो गई है।
सवाल: आपका आइडियल कौन है?
जवाब: मेरे आदर्श मेरे माता-पिता हैं, और प्रेरणा मैं विक्रम बत्रा जी, अटल बिहारी वाजपेयी जी और अपने सभी गुरुओं से लेता हूं। साथ ही हर वह इंसान मेरा प्रेरणास्रोत है, जिसे मेहनत से प्यार है।
सवाल: क्या आप ईश्वर को मानते हैं?
जवाब: जी बिल्कुल, मैं ईश्वर में विश्वास रखता हूं। और इनको एक साथी के रूप में मानता हूं, जो आपको बेहतर बनाने के लिए कुछ ऐसी परिस्थितियों में डालते हैं, जिससे आप सोना बनकर निकलें। वो आपका साथ दुख के समय देते हैं और आपको मेहनत करने के लिए प्रेरित करते हैं। साथ ही आपकी गैरहाजिरी में आपके परिवार की रक्षा करते हैं। अब वो साथी कभी बड़े भाई के रूप में हो सकते हैं, मित्र के रूप में हो सकते हैं, गुरु के रूप में हो सकते हैं या और भी बहुत से रूपों में हो सकते हैं।
सवाल: धार्मिक स्थल पसंद है या पर्यटन स्थल?
जवाब: फिलहाल SSB के चलते देहरादून, गांधीनगर, भोपाल, प्रयागराज, मैसूर, बेंगलुरु और भी कई शहरों में जाना हुआ है। और जहां भी मैं गया हूं, मैंने धार्मिक और पर्यटन-दोनों ही स्थानों पर घूमना हमेशा पसंद किया है। क्योंकि धार्मिक स्थान आपको मन की शांति और ईश्वर से मुलाकात का एक अवसर देते हैं, जबकि पर्यटन स्थल आपको नए लोगों से मिलने, उस जगह की इतिहास, संस्कृति और क्षेत्र को जानने का एक अवसर प्रदान करते हैं। इसलिए दोनों तरह की जगहों पर घूमना मुझे बहुत पसंद है।
सवाल: मृत्यु जीवन का अंतिम सत्य है, कभी इस तरफ भी ध्यान गया है?
जवाब: बड़े बुजुर्ग कह गए हैं कि जीवन का सार या सत्य है-मृत्यु। तो बस यही कहना चाहूंगा-माटी से बने हैं, माटी की सेवा करेंगे और माटी में ही मिल जाएंगे। जीवन का यही सत्य है-और इसे मैं स्वीकार करता हूं।