जिंदगीनामा: निराशा नहीं, हर नाकामी नई सीख दे जाती है

खुद पर यकीन रहे तो बड़े-बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। जिंदगीनामा में बात हरियाणा के शुभम की, जिनका अपने पर भरोसा हर वक्त बना रहा और दूसरी कोशिश में UPSC-CAPF एग्जाम क्रैक किया।

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  • मेहनत या कर्म बुनियाद है, लेकिन समय और मनःस्थिति भी; जिसे हम किस्मत कहते हैं, मायने रखता है…, किस्मत शायद क्षण तय करती है, लेकिन दिशा आपकी मेहनत से ही मिल पाती है…शुभम

सवाल: आपने UPSC-CAPF का रास्ता क्यों चुना?

जवाब: सैन्य बल का हिस्सा बनना बचपन से ही मेरा लक्ष्य था। मैंने कई साल NCC में बिताए। इससे लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता और गहरी हुई। मेरे गांव में ज्यादातर युवा सिपाही हैं, लेकिन मैंने हमेशा महसूस किया कि एक अधिकारी का पद ज्यादा जिम्मेदारी भरा है। यह नेतृत्व क्षमता को भी उभारता है। मैं यह साबित करना चाहता था कि छोटे से गांव का कोई शख्स बड़ा सपना देख सकता है और उसे पूरा भी कर सकता है। मैंने इसे पूरा किया।

सवाल: तो क्या आपको अपनी मंजिल मिल गई?

जवाब: परीक्षा के हिसाब से देखें तो हां, लेकिन जिंदगी के बड़े फलक पर इसे कसना चाहें तो नहीं। मेरे लिए CAPF परीक्षा पास करना निश्चित रूप से मील का पत्थर है, लेकिन यह मेरी मंजिल नहीं है। यह असल में उस यात्रा की शुरुआत है। इसमें मैं एक जिम्मेदार नागरिक बनकर देश की सेवा करना चाहता हूं। जब मैंने अपने माता-पिता के चेहरे पर गर्व और खुशी देखी, तो महसूस हुआ कि यही वो भावना है जिसे मैं हमेशा जीना चाहता हूं।

सवाल: आप जीवन को कैसे देखते हैं?

जवाब: मैं जीवन को एक अवसर की तरह देखता हूं- सिर्फ खुद के लिए नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए भी। जिंदगी बहुत कुछ करने का मौका देती है। मेरे लिए जीवन आराम नहीं, बल्कि चुनौती है, जो हमें आकार देती है। हम केवल सफल नहीं, सार्थक जीवन जीना चाहते हैं।

सवाल: सार्थक जीवन जीने का मतलब क्या है?

जवाब: मेरे लिए यह भौतिक चीजों में नहीं मिलती। यह इस बात में है कि हम अपने परिवार, समाज और देश पर कितना सकारात्मक असर डाल पाते हैं। अगर मैं किसी एक व्यक्ति को भी उसके सपने पूरे करने के लिए प्रेरित कर पाऊं, तो वही मेरे लिए सफलता है। आत्म-सम्मान, मानसिक शांति और दूसरों को ऊपर उठाने की क्षमता-यही असली मापदंड हैं।

सवाल: आपने CAPF देने का निर्णय कब लिया?

जवाब: बचपन से ही सशस्त्र बलों की ओर झुकाव था। कॉलेज के समय जब मैंने विभिन्न रक्षा सेवाओं के बारे में जानकारी जुटाई। इस दौरान CAPF के बारे में भी जाना। मेरे परिवार में कोई इस सेवा में नहीं था, लेकिन वर्दी पहनने और आगे से नेतृत्व करने की भावना हमेशा प्रेरणादायक रही। कई असफलताओं के बाद यह मेरा आत्म-सिद्धि का मंच बना।

सवाल: तैयारी के दौरान आपकी दिनचर्या क्या थी?

जवाब: परीक्षा कठिन है, लेकिन मैंने कोई कोचिंग नहीं ली। मैंने पूरी तैयारी घर से की। दिन को चार हिस्सों में बांट रखा था-GS, करंट अफेयर्स, निबंध लेखन और शारीरिक प्रशिक्षण। कोई बाहरी मार्गदर्शन नहीं था, तो खुद ही सीखते-समझते आगे बढ़ा। कई बार निराशा हुई, लेकिन मैंने हर असफलता को सीख के रूप में लिया।

सवाल: इंटरव्यू की तैयारी में किसी की मदद ली थी?

जवाब: लिखित परीक्षा की तैयारी मैंने पूरी तरह खुद से की। लेकिन इंटरव्यू के लिए मुझे अहसास हुआ कि ईमानदार फीडबैक और पर्सनल ग्रूमिंग भी जरूरी है। तब मैंने The Invisible Hand से जुड़कर मॉक इंटरव्यू और पर्सनल मेंटरशिप ली। इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा और यही निर्णायक भी साबित हुआ।

सवाल: तैयारी के दौरान कभी मेहनत और किस्मत में कुछ कनेक्शन दिखा क्या?

जवाब: सच्चाई यह है कि मैंने इतने प्रयासों के बाद जो सीखा, वह यह कि मेहनत बुनियाद है, लेकिन समय और मनःस्थिति; जिसे हम किस्मत कहते हैं, भी मायने रखता है। मैंने CDS 9 बार, AFCAT 10 बार, कोस्ट गार्ड 4 बार क्लियर किया-लेकिन अंतिम चरणों में बार-बार असफल हुआ। एक समय ऐसा भी आया, जब खुद को असफलता का पर्याय मानने लगा था। लेकिन मैं रुका नहीं। इसलिए, मैं मेहनत को प्राथमिकता देता हूं। किस्मत शायद क्षण तय करती है, लेकिन दिशा आपकी मेहनत ही तय करती है।

  • ईश्वर से मैंने सफलता की नहीं, बल्कि स्पष्टता और साहस की प्रार्थना की। और हर बार मुझे उतनी ताकत जरूर मिली, जितनी मुझे आगे बढ़ने के लिए चाहिए थी।

सवाल: जो लोग परीक्षा पास नहीं कर पाए, उनको क्या कहेंगे?

जवाब: मैं यही कहना चाहूंगा कि मैं भी कई बार उसी पंक्ति में रहा हूं। मेहनत के बाद असफल होना बहुत तकलीफ देता है। लेकिन याद रखो-आपका मूल्य किसी सूची से तय नहीं होता। हर प्रयास आपको और बेहतर बनाता है। अगर आप सीमा रेखा के पास हैं, तो थोड़ा और जोर लगाइए। अगली सूची में आपका नाम हो सकता है। खुद को कभी हारने मत देना।

सवाल: अपने पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में बताएं?

जवाब: मैं हरियाणा के गोंदर गांव से हूं। मेरे पिता राममेहर एक शिक्षक हैं। यही मेरे सबसे बड़े प्रेरणास्रोत है। मेरी मां श्रीमती पुष्पलता एक गृहिणी हैं। यह हमारे परिवार की भावनात्मक ताकत हैं। मेरी छोटी बहन निशा पीएचडी कर रही है और छोटा भाई पंकज स्नातक कर रहा है। परिवार ही मेरा संबल है।

सवाल: क्या आपने अपने परिवार के साथ रहकर तैयारी की थी?

जवाब: हां, मैंने पूरी तैयारी घर से की। इसमें ध्यान भटकने जैसी कठिनाइयां जरूर थीं, लेकिन भावनात्मक सहारा और स्थिरता भी मिली। मेरे पिता ने घर में एक अनुशासित माहौल बनाया और पूरा परिवार मेरे अध्ययन समय का सम्मान करता था।

सवाल: आपने पहली बार घर से दूर कब रहना शुरू किया?

जवाब: मैंने पहली बार छठीं कक्षा में घर छोड़ा, जब नवोदय विद्यालय में चयन हुआ। उस उम्र में घर से दूर रहना मुश्किल था, लेकिन समय के साथ वहां के दोस्त ही परिवार बन गए। उस अनुभव ने मुझे अनुशासन, भावनात्मक मजबूती और अनुकूलन की क्षमता सिखाई-जो UPSC की यात्रा में बहुत काम आई।

सवाल: आपके आदर्श और प्रेरणास्रोत कौन हैं?

जवाब: मेरे पिता। वह हमेशा सादा जीवन जीते हैं, लेकिन हमारे लिए जो त्याग किए वो असाधारण हैं। उन्होंने बिना कुछ कहे ही मुझे धैर्य, सहनशीलता सिखाई। और जीवन को एक मकसद दिया। उनके शांत स्वभाव ने मुझे हर मुश्किल समय में मजबूत बनाए रखा।

सवाल: क्या आपका ईश्वर में यकीन है?

जवाब: हां, मैं भगवान में विश्वास करता हूं। केवल रीति-रिवाजों में नहीं, बल्कि उस अदृश्य शक्ति में, जो कठिन समय में हमें सहारा देती है। जब मैं टूटने की स्थिति में था, आस्था मुझे संभालती रही। मैंने सफलता की नहीं, बल्कि स्पष्टता और साहस की प्रार्थना की। और हर बार मुझे उतनी ताकत जरूर मिली, जितनी मुझे आगे बढ़ने के लिए चाहिए थी।

और मैं भगवान को अपने माता-पिता में देखता हूं। उनके त्याग, धैर्य और निस्वार्थ प्रेम में। मेरे लिए भगवान किसी मंदिर या मूर्ति तक सीमित नहीं हैं। वे उन मूल्यों में हैं जिनसे मैं बड़ा हुआ, उस शक्ति में जो कठिन समय में मिलती है, और उन पलों में जब भारी प्रयासों के बाद चीजें अपने आप सही हो जाती हैं।

सवाल: आपको धार्मिक स्थल पसंद हैं या पर्यटन स्थल?

जवाब: मुझे दोनों पसंद हैं। धार्मिक स्थल शांति देते हैं-आत्मचिंतन और आंतरिक शांति का अनुभव कराते हैं। वहीं, पर्यटन स्थल नए दृष्टिकोण देते हैं। खासकर जो प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हों। ऋषिकेश का वातावरण मुझे सबसे ज्यादा शांति देने वाला और ऊर्जा देने वाला लगा। वहां की नदी, पहाड़ और आध्यात्मिकता बहुत प्रभावशाली हैं।

सवाल: आप मृत्यु को कैसे देखते हैं?

जवाब: हां, मैंने जीवन के कठिन समय में मृत्यु के बारे में गहराई से सोचा है। इससे यह अहसास होता है कि जीवन कितना नाजुक है। मृत्यु के बारे में सोचने से मैं अपने वर्तमान को और बेहतर जीने पर ध्यान देता हूं। हम क्या छोड़कर जाएंगे-धन नहीं, बल्कि हमारे कर्म, हमारा असर और हमने दूसरों को कैसा महसूस कराया। मैं चाहता हूं कि मेरा जीवन सार्थक हो-दूसरों के लिए उपयोगी और प्रेरणादायक।

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