जिंदगीनामा: …क्योंकि मुझमें लक्ष्य पाने की असीम चाहत है

कोशिश कभी नाकामयाब नहीं होने देती। हां, मुमकिन है कि इसमें थोड़ा वक्त लग जाए। जिंदगीनामा में इस बार बात कुछ इसी तरह की कहानी गढ़ने वाले मुरारी झा की। इन्होंने एक के बाद एक UPSC की 27 प्रतियोगी परीक्षाएं फेस कीं, लेकिन कई तरह के उतार-चढ़ाव के बीच कामयाबी नहीं मिल सकी। फिर अभी वो दिन भी आया, जब अचानक UPSC-CAPF के RESULT की PDF में मुस्कुराता हुआ उनका नाम व रोल नंबर छपा और इसमें उनको अपनी सारी परेशानियों, हर संघर्ष और सवालों का जवाब मिल गया।

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  • हमारा अपनी मातृभूमि, अपने समाज व राष्ट्र से जो संबंध है, इनसे जुड़ी जो जिम्मेदारियां, कर्तव्य हैं, उन्हें पूरा करने की कोशिश ही हमारे अस्तित्व को डिफाइन करती है……. मुरारी झा

सवाल: आपने अपने लिए लक्ष्य क्या तय कर रखा है? UPSC CAPF क्रैक करने से वह हासिल हो गया क्या?

जवाब: यह एग्जाम मेरी जिंदगी का एक अहम पड़ाव है, लेकिन मेरा अंतिम लक्ष्य नहीं है। मेरे जीवन का लक्ष्य पूर्ण समर्पण, गौरव और देश – प्रेम की भावना से राष्ट्र के आंतरिक और सीमा सुरक्षा के हर आयाम को सुनिश्चित करते हुए अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा में योगदान देना है, जिससे कि संसार शांति और विकास के एक नए युग के मार्ग पर अग्रसर हो। मानव अपनी अंतर-आत्मा से मानवता और वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को आत्मसात करे l इन भावनाओं की शुरुआत युवाओं से ही करनी होगी। एक अधिकारी की तरह ही नहीं, सामाजिक बदलाव के टूल के तौर पर भी अपना सकारात्मक योगदान देते हुए राष्ट्र को हर क्षेत्र में विश्व गुरु बनने के मार्ग पर अग्रसर करना ही मेरा जीवन का लक्ष्य है।

सवाल: जिंदगी के एक पड़ाव के तौर आपने इसी सेवा को क्यों चुना?

जवाब: मैं राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खुशहाली और समृद्धि हेतु सेवा करने के लिए, एक अनुशासित जीवनशैली के साथ वर्दी में सेवा करने का जुनून और गर्व, महत्वपूर्ण परिस्थितियों में नेतृत्व और निर्णय लेने की भूमिका, मेरी शारीरिक और मानसिक सहनशक्ति का इष्टतम उपयोग करने को तत्पर हूं। और मुझे लगता है कि जिंदगी इस सेवा में मुझे भरपूर मौका देगी।

सवाल: आपकी नजर में जिंदगी क्या है?

जवाब: हमारा अपनी मातृभूमि, अपने समाज व राष्ट्र से जो संबंध है, इनसे जुड़ी जो जिम्मेदारियां, कर्तव्य हैं, उन्हें पूरा करने की कोशिश ही हमारे अस्तित्व को डिफाइन करती है। इसी को जिंदगी कहते हैं। यह इस सोच में है कि संसार में रहते हुए हम कितनों के दिलों पर राज कर पाए और इस संसार से जाने के बाद हम जन मानस में कितने के दिलों में जिंदा रह पाये हैं।

सवाल: आपकी नजर में दुनिया से चले जाने का क्या है?

जवाब: मृत्यु जीवन का अटल सत्य है। जाना सभी को है, मौत सबकी आनी है। लेकिन हम मृत्यु को भी अपने कर्मों से जीवन में बदल सकते हैं। हमारे समाज, राष्ट्र और मातृभूमि के प्रति हमारा कर्म हमें जीवन भर अपने जनमानस के दिलों पर छाए रहने और मृत्यु के बाद भी हमारा राष्ट्र और समाज के प्रति कर्म हमें उनकी स्मृतियों में जीने का मौका देता है l मृत्यु हमें याद दिलाती है कि समय सीमित है। इसलिए हर दिन को उद्देश्यपूर्ण और सकारात्मक बनाना चाहिए। मुझे लगता है कि मृत्यु का ध्यान हमें वर्तमान में जीने, अहंकार से मुक्त रहने और अपने कार्यों को ईमानदारी के साथ करने की प्रेरणा देता है। मेरा मानना है कि यदि हम हर दिन को अंतिम समझ कर जिएं, तो हमारी सोच, व्यवहार और कर्म खुद ही श्रेष्ठ बन जाते हैं।

सवाल: कर्म का श्रेष्ठ बनना ही आपकी निगाह में कामयाबी है?

जवाब: अपने से तय किए हुए अल्पकालिक और दीर्घकालिक लक्ष्य को अपने मन, क्रम, वचन, विवेक और शक्ति से विकट से विकट परिस्थितियों से गुजरते हुए हुए भी, कइयों बार हारने के बाद भी, उठ खड़े होकर अपने लक्ष्य को भेद देना ही कामयाबी है। जो संतुष्टि को जन्म देता है, जिससे हम समाज में आमूलचूल परिवर्तन ला सकते हैं, वही मेरी निगाह में कामयाबी है।

कामयाबी निरंतर सही दिशा में, सही तरीके से, प्रयासरत होते हुए विभिन्न स्तर पर अपने आप में सुधार लाते हुए और अवरोध को मिटाते रहने से मिलती है। तभी कहा जाता है…’मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है।’

सवाल: आपने कब सोचा कि UPSC CAPF एग्जाम देना है?

जवाब: क्लास-11 से ही मेरा इस सेवा के तरफ अगाध लगाव रहा है। तभी से मैं इस परीक्षा के बारे में सोच रखा था और तैयारी चालू किया और इसी लक्ष्य के मार्ग में मैंने 27 GOVT EXAM दिए, जिनमें 10 विभिन्न तरीकों के कुल 25- GROUP A, GAZETTED अधिकारी स्तर के परीक्षा थे। सारी लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ, जिनमे UPSC NDA/NA (2 बार), AFCAT (8/8 बार),UPSC CDS (6/6 बार), INDIAN COAST GUARD ASSISTANT COMMANDANT (5/5 बार), IB ACIO, BPS CCE, TERRITORIAL ARMY OFFICER कई लिखित परीक्षा पास किए। GRADUATION पास करते हुए ही मैंने UPSC CAPF AC 2024 परीक्षा मे प्रयास किया और उत्तीर्ण हो गया।

सवाल: UPSC CAPF की तैयारी कठिन है। आपकी दिनचर्या क्या रही?

जवाब: हां, ये सही बात है कि UPSC की परीक्षा कठिन है और होना भी चाहिए। वह इसलिए कि संस्थान योग्य अधिकारी (सेनानायक) की तलाश में है। मैं हमेशा एक प्रक्रिया-उन्मुख व्यक्ति रहा हूं, लक्ष्य-उन्मुख नहीं। इसीलिए UPSC परीक्षा की विषय वस्तु को विस्तार से अध्ययन किया आपने अल्पकालिक और दीर्घकालिक लक्ष्य के साथ। मैं साधारणतः 12 घंटे रोज पढ़ाई करता था। सुबह पांच बजे उठकर व्यायाम (दौड़), तैराकी करता। फिर, सात बजे से NEWS PAPER और SELF DEVELOPMENT BOOK, प्रतियोगिता परीक्षा के लिए विषय-वस्तु पढ़ता। MOCK TEST से वर्तमान स्तर और आवश्यक स्तर में अंतर पता करके उसका REVISION और नई विषय-वस्तु पढ़कर उस अंतराल को भरता और एक के बाद एक लिखित प्रतियोगिता परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ।

मैंने यूपीएससी के मॉक साक्षात्कार के लिए केवल डिप्टी कमांडेंट राकेश निखज सर के नेतृत्व में द इनविजिबल हेल्पिंग हैंड टीम और साथ ही दृष्टि आईएएस, केजीएस डिफेंस, तथास्तु आईसीएस, गुरुकुल ऑफिसर अकादमी, एवीकेएस अकादमी, संकल्प आईएएस से मार्गदर्शन लिया है।

सवाल: कर्म और भाग्य को कैसे देखते हैं आप?

जवाब: मैं मानता हूं कि UPSC जैसी परीक्षा कड़ी मेहनत, निरंतरता, अनुशासन और सही दिशा में किए गए प्रयास से ही क्रैक की जा सकती है। लेकिन कभी-कभी अंतिम चयन या रैंकिंग जैसे मामलों में कुछ ऐसे कारक भी होते हैं जो हमारे नियंत्रण में नहीं होते। मसलन, उस वर्ष का पेपर पैटर्न, इंटरव्यू पैनल का नजरिया या थोड़ी-बहुत अनपेक्षित परिस्थितियां, जिन्हें हम भाग्य कह सकते हैं।

हालांकि, मैं व्यक्तिगत रूप से कर्म को प्रधान मानता हूं। अगर तैयारी ईमानदारी से की गई है और आत्मविश्वास मजबूत है तो भाग्य को भी हमारे पक्ष में झुकना ही पड़ता है। भाग्य भी उसी का साथ देता है, जो इसका हकदार बनता है। मेरा यकीन श्रीमदभागत गीता के इस श्लोक में है…

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

मा कर्मफलहेतुर्भूर्माते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।

सवाल: क्या आप ईश्वर में विश्वास रखते हैं?

जवाब: जी हां, मैं ईश्वर में विश्वास करता हूं। मेरे लिए ईश्वर एक सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक हैं, जो हमें नैतिक दिशा, आत्मबल और कठिन समय में मानसिक शांति प्रदान करता है। यह विश्वास मुझे मेरे मूल्यों पर टिके रहने, अनुशासन में रहने और हर स्थिति में सकारात्मक सोच बनाए रखने की प्रेरणा देता है। फिर भी, केवल ईश्वर में विश्वास करना ही काफी नहीं, बल्कि उसके अनुरूप कर्म करना भी आवश्यक है। इसलिए मैं अपने कार्यों में ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और सेवा-भाव को प्राथमिकता देता हूं। क्योंकि कर्म ही धर्म और पूजा है और धर्म और पूजा ही हमें ईश्वर से जोड़े रखती है।

सवाल: खैर, अपने परिवार, मम्मी-पापा, परिवार, शिक्षा के बारे में कुछ बताइए? अपनी सफलता का श्रेय आप किन्हें देना चाहेंगे?

जवाब: मैं सतघरा गांव, मधुबनी जिला, बिहार का निवासी हूं। मेरे पिता, सुरेश झा एक पुजारी के रूप में काम करते हैं। जबकि मेरी मां सुलेखा झा एक गृहिणी हैं। मेरा भाई, आयुष झा, भारतीय नौसेना में सेवा दे रहे हैं। मातृभूमि और राष्ट्र के प्रति सेवा की भावना मेरे परिवार में चलती आ रही है और मैं उसी विरासत को आगे बढ़ाना चाहता हूं।

मैंने अपनी कक्षा 10 रानी रश्मोनी हाई स्कूल से और कक्षा 12 एंड्रयूज हाई स्कूल से पूरी की। मैंने आचार्य जगदीश चंद्र बोस कॉलेज, कलकत्ता विश्वविद्यालय से गणित में बीएससी की उपाधि प्राप्त की।

मैं अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, गुरुजन और अपने दोस्तों को देना चाहूंगा, जो मेरे जीवन के हर विकट परिस्थितियों में मेरे से कंधे से कंधा मिलाकर हमेशा मेरा साथ दिए l इन सभी के योगदान के लिए मैं हमेशा आभारी रहूंगा l

सवाल: क्या घर से पढ़ाई की या बाहर रहना पड़ा? और पहली बार घर छोड़ना कैसा लगा?

जवाब: मैंने अपनी पढ़ाई के दौरान कुछ समय घर पर और कुछ समय बाहर रहकर बिताया। जब मैं यूपीएससी की तैयारी कर रहा था, तो मुझे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी और इसके लिए मुझे अपने परिवार से दूर रहना पड़ा।

पहली बार घर छोड़ने का अनुभव थोड़ा चुनौतीपूर्ण था। लेकिन मैंने इसे एक अवसर के रूप में देखा और अपने आप को नई परिस्थितियों में ढालने की कोशिश की। इससे मुझे आत्मनिर्भर बनने और अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिली।

  • और एक दिन अचानक किसी RESULT की PDF में मुस्कुराता हुआ आपका नाम और रोल नंबर आपके सारे संघर्ष, सारी परेशानी और सवाल का जवाब होगा। आप बस खामोशी से लगे रहिए। और यकीन जानिए, वो दिन आयेगा जरूर।

सवाल: आपके आदर्श कौन हैं?

जवाब: मेरे आदर्श महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी महाराज हैं। इन्होंने हमेशा मुझे प्रेरित किया है और मैं उनके जीवन से सीखने की कोशिश करता हूं। मेरे भाई आयुष झा, जो भारतीय नौसेना में हैं, और अमित रॉय सर, जिन्होंने मुझे सैन्य सेवाओं के प्रति दिशा दिखाई और देश सेवा के प्रति गर्व और सम्मान की भावना जगाई और लेफ्टिनेंट कर्नल गणेश बाबू सर, जिन्होंने मुझे नेतृत्व उत्कृष्टता के लिए मूल्य विकास के विभिन्न सबक सिखाए और जीवन में निर्णय लेने में मदद की, मेरे आदर्श हैं।

सवाल: आखिरी सवाल, जो परीक्षा में नहीं हो पाए, उन्हें क्या कहना चाहेंगे?

जवाब: मैं कहना चाहता हूं कि मेरे दोस्तों, मैं जानता हूं, प्रयास करने के बाद सफलता न मिलने से दुख होता है। लेकिन उस दुख से उबर कर तुरंत लग जाना है।

कहते हैं ना..

यदि टुकड़ों-टुकड़ों में बंट जाऊं मैं,

फिर भी सबको जोड़ कर मुझमें आगे बढ़ने की ताकत है,

क्योंकि मुझमें लक्ष्य पाने की असीम चाहत है

सफलता को दिमाग और असफलता को दिल में जगह नहीं बनाने देना चाहिए। आप सभी को बस एक अतिरिक्त प्रयास भर करना है।

आसान कहां डगर, अभेद्य नहीं मगर।

मैंने खुद 27 प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लिया और सभी की लिखित परीक्षा उत्तीर्ण की, लेकिन चयन के विभिन्न चरणों में कई उतार-चढ़ाव का सामना किया। लेकिन मैंने हमेशा एक ही रवैया रखा कि मैं इस बार फिर से करूंगा। मेरी एक सीख है-जीवन में चुनौतियां और बाधाएं आती हैं। हमें इसे स्वीकार करना चाहिए, सावधानी से समझना चाहिए और समस्याओं व कमजोरियों को हल करने का तरीका ढूंढकर आगे बढ़ना चाहिए। जो लोग चुनौतियों को स्वीकार करते हैं और उन्हें हल करने के लिए उचित कार्रवाई करते हैं, वे जीवन के हर क्षेत्र में सच्चे योद्धा होते हैं। यह रवैया हमें किसी भी परिस्थिति में हार न मानने की प्रवृत्ति की ओर ले जाता है।

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