Air Pollution: दिल्ली की हवा साल में सिर्फ 259 घंटे सांस लेने लायक, क्या दिल्ली बचा है रहने लायक?

दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण और चरम मौसम लोगों के लिए साफ हवा और आरामदायक तापमान का समय बेहद कम कर रहा है। एक हालिया अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में पूरे साल के 8,760 घंटों में से केवल 259 घंटे ही ऐसे हैं जब हवा साफ और तापमान सुकूनदायक होता है।

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नई दिल्ली: दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण (Air Pollution) और चरम मौसम लोगों के लिए साफ हवा और आरामदायक तापमान का समय बेहद कम कर रहा है। एक हालिया अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में पूरे साल के 8,760 घंटों में से केवल 259 घंटे ही ऐसे हैं जब हवा साफ और तापमान सुकूनदायक होता है। यानी, साल का सिर्फ 3 फीसदी समय ही दिल्लीवासियों के लिए स्वास्थ्यवर्धक और आरामदायक है।

यह जानकारी अहमदाबाद की सेंटर फॉर एनवायरनमेंट प्लानिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीईपीटी) और क्लाइमेट-टेक स्टार्टअप ‘रेस्पिरर लिविंग साइंसेज’ की संयुक्त रिपोर्ट में सामने आई है। यह रिपोर्ट 8 जून को ‘हेल्दी बिल्डिंग कॉन्फ्रेंस’ में प्रस्तुत की गई।  

1,951 घंटे हवा रहती है जहरीली

रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में साल भर में लगभग 2,210 घंटे ऐसे होते हैं जब तापमान 18 से 31 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जिसे आरामदायक माना जाता है। लेकिन इसमें से 88% समय, यानी 1,951 घंटे, हवा की गुणवत्ता खराब रहती है। इस दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 150 से ऊपर रहता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। नतीजतन, दिल्लीवासी शायद ही कभी ऐसी स्थिति में सांस ले पाते हैं जब हवा साफ हो और मौसम सुहावना हो।  

अन्य शहरों का हाल

अध्ययन में अन्य शहरों की तुलना में दिल्ली की स्थिति ज्यादा चिंताजनक पाई गई। बेंगलुरु में साल भर में 8,100 से अधिक घंटे साफ हवा और आरामदायक मौसम के होते हैं। अहमदाबाद, भले ही गर्म हो, फिर भी दिल्ली की तुलना में अधिक समय तक बाहर रहने लायक स्थिति प्रदान करता है। हालांकि, चेन्नई की हालत दिल्ली जैसी ही है, जहां 88% आरामदायक समय खराब हवा से प्रभावित होता है। यह साफ है कि भारत के कई बड़े शहरों में प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन का संयुक्त प्रभाव जीवन की गुणवत्ता को तेजी से बिगाड़ रहा है। 

पुरानी इमारतें अब अप्रभावी

शोधकर्ताओं ने बताया कि मौजूदा इमारतों के डिजाइन और वेंटिलेशन सिस्टम अब शहरी भारत की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे। पूरी तरह बंद एयर-कंडीशनर कमरे या बिना फिल्टर वाली प्राकृतिक हवा की व्यवस्था अब नाकाम है। इसके समाधान के लिए शोधकर्ताओं ने ‘पर्सनलाइज्ड एनवायरनमेंटल कंट्रोल सिस्टम’ (PECS) का सुझाव दिया है। यह तकनीक मौसम और समय के हिसाब से प्राकृतिक या यांत्रिक हवा (जैसे एसी या पंखे) का उपयोग करती है। यह सिस्टम कमरे के तापमान और हवा की गुणवत्ता को व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार नियंत्रित करता है, जिससे साफ और आरामदायक हवा सुनिश्चित होती है।  

स्मार्ट तकनीक को नीतियों में शामिल करने की जरूरत

शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि बढ़ते प्रदूषण और गर्मी से निपटने के लिए PECS जैसे स्मार्ट वेंटिलेशन सिस्टम को बिल्डिंग कोड, शहरी नियोजन और सार्वजनिक ढांचे की नीतियों में शामिल करना होगा। इससे ऊर्जा की कम खपत के साथ साफ और आरामदायक हवा उपलब्ध हो सकेगी। यह कदम खासकर दिल्ली और चेन्नई जैसे शहरों के लिए जरूरी है, जहां प्रदूषण और गर्मी का असर लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। दिल्ली में साफ हवा और सुहावने मौसम का इतना कम समय उपलब्ध होना चिंता का विषय है। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि क्या दिल्ली अब रहने लायक शहर बचा है?

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