नई दिल्ली: मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के एक ताजा शोध ने चेतावनी दी है कि ग्लोबल वॉर्मिंग (Global Warming) के चलते भविष्य में जमीनी स्तर की ओजोन को नियंत्रित करना और कठिन हो जाएगा। यह ओजोन, जो सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाने वाली ओजोन परत से अलग है, एक जहरीली गैस है, जो नाइट्रोजन ऑक्साइड और वोलाटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड्स (VOCs) की धूप में रासायनिक प्रतिक्रिया से बनती है। यह अध्ययन जर्नल एनवायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित हुआ है और इसमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने के लिए उन्नत जलवायु और वायुमंडलीय रसायन मॉडलों का उपयोग किया गया है।
जलवायु परिवर्तन और ओजोन का जटिल रिश्ता
शोध के अनुसार, जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ेगा, पूर्वी उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में जमीनी ओजोन को नियंत्रित करना मुश्किल होगा। इन क्षेत्रों में नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन में कटौती का असर कम हो जाएगा, जिसके लिए उत्सर्जन में पहले से कहीं अधिक कमी की जरूरत होगी। इसके विपरीत, पूर्वोत्तर एशिया में नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन में कटौती से ओजोन स्तर को कम करने में बेहतर परिणाम मिलेंगे।
शोधकर्ताओं ने दो मॉडलों का उपयोग किया: एक मौसम के तत्वों जैसे तापमान और हवा की गति को समझने के लिए, और दूसरा वायुमंडल में रासायनिक प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण करने के लिए। इन मॉडलों के जरिए 2080-2095 के बीच की संभावित जलवायु परिस्थितियों का अनुमान लगाया गया, जिसमें उच्च और निम्न तापमान वृद्धि के परिदृश्य शामिल थे। इनकी तुलना 2000-2015 के डेटा से की गई ताकि नाइट्रोजन ऑक्साइड में 10% कटौती के प्रभाव को समझा जा सके।
जमीनी ओजोन: एक द्वितीयक प्रदूषक
जमीनी स्तर की ओजोन एक द्वितीयक प्रदूषक है, जो सीधे उत्सर्जित नहीं होती, बल्कि नाइट्रोजन ऑक्साइड और VOCs की धूप में रासायनिक प्रतिक्रिया से बनती है। गर्म और धूप वाले मौसम में इसका स्तर बढ़ जाता है, जिससे सांस की तकलीफ, अस्थमा, और हृदय रोगों का खतरा बढ़ता है। यह गैस इंसानों, जानवरों और पौधों के लिए हानिकारक है। शोध में पाया गया कि बढ़ते तापमान के साथ मिट्टी से प्राकृतिक रूप से निकलने वाला नाइट्रोजन ऑक्साइड भी बढ़ेगा, जिससे ओजोन नियंत्रण और जटिल हो जाएगा।
क्षेत्रीय भिन्नताएं और चुनौतियां
अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता एमी ले रॉय ने बताया कि जलवायु परिवर्तन वायु प्रदूषण की रासायनिक प्रक्रियाओं को प्रभावित कर रहा है, जिसे वायु गुणवत्ता नीतियों में ध्यान में रखना जरूरी है। पूर्वी उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में मिट्टी से निकलने वाला नाइट्रोजन ऑक्साइड गर्म मौसम में बढ़ेगा, जिससे मानवीय उत्सर्जन में कटौती का प्रभाव कम हो जाएगा। वहीं, पूर्वी एशिया, खासकर चीन के औद्योगिक क्षेत्रों में, उत्सर्जन कटौती का ओजोन पर अधिक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
शोध की खासियत
इस अध्ययन की खास बात यह है कि इसमें 80 वर्षों के जलवायु डेटा का विश्लेषण किया गया और लंबे समय तक की जलवायु संभावनाओं को मॉडल किया गया। इससे जलवायु परिवर्तन और वायु गुणवत्ता के बीच संबंध को पहले से कहीं स्पष्ट रूप से समझा जा सका। शोधकर्ताओं ने मौसम के उतार-चढ़ाव और रासायनिक प्रक्रियाओं को एकीकृत कर भविष्य के परिदृश्यों का अनुमान लगाया, जो नीति निर्माताओं के लिए महत्वपूर्ण है।
स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा
जमीनी ओजोन का बढ़ता स्तर न केवल वायु गुणवत्ता को खराब करता है, बल्कि स्वास्थ्य जोखिमों को भी बढ़ाता है। गर्म मौसम में इसका स्तर बढ़ने से सांस की बीमारियां, अस्थमा, और हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के साथ प्रदूषण नियंत्रण नीतियों को और सख्त करना होगा।
भविष्य के लिए सुझाव
शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि वायु गुणवत्ता सुधार के लिए नाइट्रोजन ऑक्साइड और VOCs उत्सर्जन को कम करने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर भी ध्यान देना होगा। क्षेत्रीय अंतरों को समझकर नीतियां बनाना जरूरी है, ताकि ओजोन नियंत्रण में प्रभावी परिणाम मिल सकें। यह अध्ययन जलवायु संकट और वायु प्रदूषण के बीच गहरे संबंध को उजागर करता है, जो भविष्य में स्वच्छ हवा सुनिश्चित करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण की मांग करता है।