नई दिल्ली: विटामिन डी (Vitamin D) न केवल हड्डियों और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जरूरी है, बल्कि यह आपको लंबे समय तक जवान रखने में भी मदद कर सकता है। हार्वर्ड से संबद्ध मास जनरल ब्रिघम और मेडिकल कॉलेज ऑफ जॉर्जिया के शोधकर्ताओं के एक ताजा अध्ययन में यह दावा किया गया है। द अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, विटामिन डी की नियमित खुराक जैविक उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है।
टेलोमेरेस पर विटामिन डी का असर
अध्ययन में टेलोमेरेस पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो गुणसूत्रों के सिरों पर मौजूद सुरक्षात्मक टोपियां हैं। उम्र बढ़ने के साथ ये टोपियां छोटी होती जाती हैं, जिससे हृदय रोग, कुछ प्रकार के कैंसर और अन्य उम्र-संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ता है। छोटे टेलोमेरेस कोशिकाओं के घिसाव का संकेत देते हैं।
शोध में एक दीर्घकालिक नैदानिक परीक्षण के डेटा का विश्लेषण किया गया, जिसमें 1,000 से अधिक प्रतिभागियों (55 वर्ष से अधिक की महिलाएं और 50 वर्ष से अधिक के पुरुष) को चार साल तक शामिल किया गया। इन्हें रैंडम तरीके से तीन समूहों में बांटा गया: एक समूह को प्रतिदिन 2,000 IU विटामिन डी3, दूसरे को 1 ग्राम ओमेगा-3 फैटी एसिड, और तीसरे को प्लेसबो दिया गया। नतीजों से पता चला कि विटामिन डी लेने वालों में टेलोमेरेस की कमी प्लेसबो समूह की तुलना में काफी कम थी। विटामिन डी ने कोशिकीय उम्र बढ़ने को लगभग तीन साल तक धीमा कर दिया, जो जवानी बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
ओमेगा-3 का प्रभाव सीमित
वहीं, ओमेगा-3 फैटी एसिड का टेलोमेरेस की लंबाई पर खास असर नहीं देखा गया। यह अध्ययन विटामिन डी के व्यापक लाभों को रेखांकित करता है। यह न केवल हड्डियों को मजबूत करता है और प्रतिरक्षा तंत्र को बढ़ावा देता है, बल्कि कोशिकाओं को लंबे समय तक युवा रखने में भी मदद करता है। यह पहला बड़ा रैंडमाइज्ड ट्रायल है, जो दर्शाता है कि विटामिन डी टेलोमेरेस की रक्षा करता है। साथ ही, यह सूजन को कम करने और कैंसर व ऑटोइम्यून बीमारियों के जोखिम को घटाने में भी सहायक है।
विटामिन डी के बहुमुखी फायदे
शोधकर्ताओं का कहना है कि विटामिन डी जैविक उम्र बढ़ने को रोकने की एक संभावित रणनीति हो सकती है, हालांकि इसके लिए और अध्ययन की जरूरत है। विटामिन डी को “सनशाइन विटामिन” कहा जाता है, क्योंकि यह सूरज की रोशनी से त्वचा में बनता है। यह कैल्शियम अवशोषण को बढ़ाकर हड्डियों को मजबूत करता है, जिससे हड्डियां कमजोर होने या टूटने का खतरा कम होता है।
प्रतिरक्षा तंत्र और मानसिक स्वास्थ्य
विटामिन डी प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाकर सर्दी, फ्लू और पुरानी सूजन से लड़ने में मदद करता है। कुछ शोध यह भी संकेत देते हैं कि यह मूड को बेहतर बनाने और अवसाद, थकान व मस्तिष्क संबंधी समस्याओं को कम करने में सहायक हो सकता है।
विटामिन डी की कमी से बचें
आधुनिक जीवनशैली में कई लोग पर्याप्त धूप नहीं ले पाते, खासकर वे जो दिनभर घर के अंदर रहते हैं या बादल वाले क्षेत्रों में रहते हैं। ऐसे में वसायुक्त मछली, अंडे की जर्दी, फोर्टिफाइड दूध या विटामिन डी3 सप्लीमेंट इस कमी को पूरा कर सकते हैं। शोधकर्ताओं की सलाह है कि विटामिन डी की कमी को नजरअंदाज न करें। इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करना न केवल आपके स्वास्थ्य, बल्कि जवानी को बनाए रखने में भी मददगार हो सकता है।