जिंदगी जिम्मेदारी, हर एक को अपने हिस्से की भूमिका निभानी है

किसान परिवार से आने वाले मंदीप बूरा को वर्दी से प्यार बहुत पहले हो गया था। तभी इन्होंने संघ लोक सेवा आयोग आयोग (UPSC) की केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) परीक्षा की तैयारी की और दो दिन पहले घोषित नतीजों में अपनी जगह भी बना ली है।

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मेरे लिए कामयाबी का मतलब है, आत्म-संतोष और सकारात्मक प्रभाव। अगर कोई व्यक्ति अपने कर्तव्य को ईमानदारी से निभाते हुए दूसरों के लिए भी कुछ कर पा रहा है, तो वह मेरे अनुसार कामयाब है। भले ही उसके पास ज्यादा पैसा न हो।

…मंदीप बूरा 

सवाल: UPSE-CAPF का फाइनल एग्जाम क्रैक करने से क्या आपको अपना फाइनल लक्ष्य मिल गया?

जवाब: यह कामयाबी मेरे लिए अहम पड़ाव है, लेकिन अंतिम लक्ष्य नहीं। मेरा मकसद हमेशा से था कि ऐसा जीवन जीना है, जहां अनुशासन, सेवा व नेतृत्व हो। और CAPF इसकी सबसे उपयुक्त राह है। यह सेवा मुझे राष्ट्र के लिए कुछ ठोस करने का अवसर देगी।

सवाल: आपने यही लक्ष्य क्यों चुना?

जवाब: मैं एक किसान परिवार से आता हूं। हमारे गांव में सुरक्षा बलों के प्रति एक सम्मान की भावना है। जब मैंने अपने गांव के एक सीनियर को यूनिफॉर्म में देखा, तभी से यह सपना बन गया। CAPF में रहकर मैं अनुशासन, देश सेवा और लोगों की सुरक्षा-इन तीनों को साथ निभा सकता हूं। यही मुझे इस सेवा में आने के लिए प्रेरित भी करता है।

सवाल: आपका जीवन दर्शन का है, जिंदगी को आप कैसे देखते हैं?

जवाब: मैं जिंदगी को एक जिम्मेदारी के रूप में देखता हूं। हर व्यक्ति को अपने हिस्से की भूमिका निभानी होती है। युवा होने के नाते मैं मानता हूं कि हमें केवल खुद की तरक्की नहीं, समाज की बेहतरी में भी योगदान देना चाहिए।

सवाल: आपकी नजर में कामयाब होना क्या है?

जवाब: मेरे लिए कामयाबी का मतलब है-आत्म-संतोष और सकारात्मक प्रभाव। अगर कोई व्यक्ति अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाते हुए दूसरों के लिए भी कुछ कर पा रहा है, तो वह मेरे अनुसार कामयाब है। भले ही उसके पास ज्यादा पैसा न हो।

सवाल: आपने CAPF का एग्जाम देने का निर्णय कब लिया?

जवाब: मैंने स्नातक के बाद तय किया कि मुझे CAPF में जाना है। गांव में एक युवा था जिसने यह परीक्षा दी थी, उससे प्रेरणा मिली। उसके बाद मैंने खुद जानकारी जुटाई और पूरी निष्ठा से तैयारी शुरू कर दी।

सवाल: पढ़ाई के दौरान आपकी दिनचर्या कैसी थी?

जवाब: मेरी दिनचर्या सुबह जल्दी उठकर दौड़ लगाने से शुरू होती थी। वह इसलिए कि शारीरिक फिटनेस भी जरूरी है। फिर, 6 घंटे पढ़ाई करता था। इसमें करंट अफेयर्स, सामान्य अध्ययन और मॉक टेस्ट पर ज्यादा ध्यान देता था। शाम को बच्चों को पढ़ाता था। यह मेरा शौक भी था और इससे मेरी खुद की समझ भी मजबूत हुई।

सवाल: क्या आपने कोचिंग ली?

जवाब: शुरुआत में खुद से पढ़ाई की। लेकिन बाद में ऑनलाइन मटेरियल और यूट्यूब के जरिये मार्गदर्शन लिया। गांव में रहकर भी अब बहुत संसाधन उपलब्ध हैं। बस समर्पण और अनुशासन चाहिए।

सवाल: मेहनत और भाग्य-कौन ज्यादा महत्वपूर्ण है?

जवाब: मेरे अनुसार मेहनत प्राथमिक है। लेकिन कभी-कभी सही समय पर सही निर्णय और मानसिक स्थिरता; जिसे लोग भाग्य कह देते हैं, उसका भी असर होता है। लेकिन भाग्य से पहले 100 फीसदी मेहनत जरूरी है।

सवाल: जो सफल नहीं हो पाए, उन्हें क्या कहना चाहेंगे?

जवाब: मैं बस यही कहूंगा कि एक एग्जाम से जीवन की योग्यता तय नहीं होती। आपके पास जो अनुभव, मेहनत और सीख है। वो आपकी संपत्ति है। एक बार नहीं तो अगली बार, आप जरूर सफल होंगे, बस आत्मविश्वास और धैर्य बनाए रखें।

सवाल: अपने बारे में बताइए, घर, परिवार?

जवाब: मैं हरियाणा के हिसार जिले के गांव पेटवार से हूं। मेरे पिताजी एक मेहनती किसान हैं, मां गृहिणी हैं। मेरे माता-पिता ने हमेशा मुझे शिक्षा और मेहनत के महत्व को समझाया। यही मेरी सबसे बड़ी पूंजी है।

सवाल: पढ़ाई के लिए क्या घर छोड़ना पड़ा?

जवाब: जी नहीं, मैंने B.Sc. की पढ़ाई घर पर रहकर की। तैयारी के दौरान भी अधिकतर समय गांव में ही रहा। घर का सहयोग और शांत वातावरण मुझे पढ़ाई में मदद देता था।

मैं कर्म के सिद्धांत को मानता हूं। इसका सूत्र वाक्य है, ‘जैसा करोगे, वैसा भरोगे।

सवाल: पहली बार घर से बाहर कब गए? अनुभव कैसा था?

जवाब: Mock interview या मेडिकल टेस्ट के दौरान जब पहली बार बाहर गया, तो गांव और परिवार बहुत याद आया। लेकिन खुद को मजबूत रखा और लक्ष्य को याद रखा। अब जब सफलता मिली है, तो लगता है कि वो त्याग सार्थक हो गया।

सवाल: आपका आदर्श कौन है?

जवाब: नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेरे आदर्श हैं। उनका साहस, दूरदृष्टि और नेतृत्व-हर युवा को प्रेरणा देता है। साथ ही मेरे पिताजी भी मेरे जीवन के आदर्श हैं, जो हर परिस्थिति में डटे रहते हैं।

सवाल: क्या आप ईश्वर में विश्वास करते हैं?

जवाब: जी हां, मैं ईश्वर को मानता हूं। मेरे लिए ईश्वर वो शक्ति है, जो हमें सही और गलत में फर्क करने की समझ देती है। मैं कर्म के सिद्धांत को मानता हूं। इसका सूत्र वाक्य है, जैसा करोगे, वैसा भरोगे।

जवाब: धार्मिक स्थल या पर्यटन स्थल-कौन ज्यादा पसंद है?

जवाब: दोनों पसंद हैं। धार्मिक स्थलों से शांति मिलती है, और पर्यटन स्थलों से नया दृष्टिकोण। मुझे ऋषिकेश और हरिद्वार बहुत अच्छे लगे। गंगा आरती देखना एक आध्यात्मिक अनुभव था।

सवाल: मृत्यु जीवन का अंतिम सत्य है। क्या कभी इस ओर सोचा है?

जवाब: जी हां। जब भी किसी ग्रामीण क्षेत्र में कोई दुर्घटना या खबर सुनता हूं, तो सोचता हूं कि जीवन कितना अस्थायी है। इसलिए हर दिन को ईमानदारी से जीने और दूसरों के लिए कुछ करने की कोशिश करता हूं।

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