Climate Change: 2100 तक उत्तरी गोलार्ध में हरियाली में 2.25 गुना वृद्धि संभव

शोध के अनुसार, वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती सांद्रता, गर्म होते तापमान और उत्तरी क्षेत्रों में बर्फ व पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने जैसे कारक इस क्षेत्र को हरा-भरा कर सकते हैं

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नई दिल्ली: उत्तरी गोलार्ध में सदी के अंत तक हरियाली की मात्रा में 2.25 गुना तक की बढ़ोतरी हो सकती है। यह दावा ‘ग्लोबल चेंज बायोलॉजी‘ पत्रिका में प्रकाशित एक नए शोध में किया गया है। शोध के अनुसार, वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती सांद्रता, गर्म होते तापमान और उत्तरी क्षेत्रों में बर्फ व पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने जैसे कारक इस क्षेत्र को हरा-भरा कर सकते हैं।

उन्नत मॉडल से भविष्यवाणी

वैज्ञानिकों ने वनस्पति वृद्धि का अनुमान लगाने के लिए एक अत्याधुनिक मॉडल, जिसे जीजीएमएओसी (ग्रिड-बाय-ग्रिड, मल्टी-एल्गोरिदम, ऑप्टिमल-कॉम्बिनेशन) नाम दिया गया है, विकसित किया। इस मॉडल में छह मशीन लर्निंग तकनीकों—जैसे रैंडम फॉरेस्ट, सपोर्ट वेक्टर रिग्रेशन, कन्वोल्यूशनल न्यूरल नेटवर्क, एलएसटीएम, ट्रांसफॉर्मर और लाइनियर मॉडल—का उपयोग किया गया। मॉडल ने तापमान, वर्षा, मिट्टी की नमी, वाष्पोत्सर्जन और कार्बन डाइऑक्साइड जैसे पांच प्रमुख जलवायु कारकों का विश्लेषण किया।  

शोध के अनुसार, 60 से 90 डिग्री उत्तरी अक्षांश वाले क्षेत्रों में पत्तियों के क्षेत्रफल सूचकांक (लीफ एरिया इंडेक्स) में 1982-2014 की तुलना में 2100 तक औसतन 2.25 गुना वृद्धि हो सकती है। यह सूचकांक पौधों की पत्तियों द्वारा प्रति वर्ग मीटर जमीन पर कवर किए गए क्षेत्र को दर्शाता है, जो पारिस्थितिकी स्वास्थ्य, कार्बन अवशोषण और जलवायु संतुलन का महत्वपूर्ण मापक है।  

हरियाली के साथ चुनौतियां

यह अनुमान सभी जलवायु परिदृश्यों (SSP126 से SSP585) में देखा गया, जो भविष्य की जलवायु नीतियों और कार्बन उत्सर्जन पर निर्भर हैं। रैंडम फॉरेस्ट तकनीक ने सबसे सटीक परिणाम दिए। हालांकि, वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि हरियाली बढ़ना सतही तौर पर सकारात्मक लग सकता है, लेकिन इसके गंभीर दुष्परिणाम भी हो सकते हैं। पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ सकता है, जो जलवायु संकट को और बढ़ाएगा। इसके अलावा, नई वनस्पतियां स्थानीय पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचा सकती हैं और जंगल की आग जैसी आपदाओं का जोखिम बढ़ा सकती हैं।  

नीति निर्माताओं के लिए सुझाव

यह शोध जलवायु परिवर्तन के बहुआयामी प्रभावों को रेखांकित करता है। एक ओर जहां हरियाली बढ़ना पर्यावरण के लिए फायदेमंद लगता है, वहीं यह पृथ्वी के पारिस्थितिक संतुलन को अस्थिर कर सकता है। वैज्ञानिकों ने नीति निर्माताओं से आह्वान किया है कि वे इन बदलावों को ध्यान में रखकर दीर्घकालिक पर्यावरणीय योजनाएं बनाएं।  

पर्यावरणीय रणनीति की जरूरत

यह अध्ययन जलवायु परिवर्तन के जटिल प्रभावों को दर्शाता है। हरियाली बढ़ना कुछ क्षेत्रों के लिए लाभकारी हो सकता है, लेकिन यह वैश्विक पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ सकता है। शोधकर्ताओं ने नीति निर्माताओं से इन बदलावों को ध्यान में रखकर टिकाऊ पर्यावरणीय नीतियां बनाने का आग्रह किया है।

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