महागठबंधन में शीट शेयरिंग पर हलचल, तेजस्वी पर बढ़ा दबाव

हर चुनाव से पहले किसी भी गठबंधन में सीट बंटवारा बेहद उलझा मसला होता है। बिहार में इस वक्त दोनों गठबंधनों की सिरदर्दी इसी को लेकर है। पटना से सुजीत कुमार की रिपोर्ट...

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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले शीट शेयरिंग पर एनडीए और महागठबंधन में तनातनी बरकरार है। गठबंधन के घटक दल ज्यादा सीटों पर दावा ठोंक रहे हैं। एनडीए के बाद अब हलचल महागठबंधन में है। एनडीए में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बाद अब महागठबंधन में वामदलों और विकासशील इंसान पार्टी ने अपनी दावेदारी पेश की है। इससे पहले कांग्रेस भी अपने स्तर पर जमीन तलाश रही है।

कुछ दिन पहले राजद और कांग्रेस में रस्साकसी सतह पर थी। अब वामदलों और वीआईपी ने अपनी दावेदारी पेश की है। वाम दल 45 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कर रहे है। जबकि वीआईपी ने 60 सीटों पर दावा ठोका है। इसने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की चिंता बढ़ा दी है।

CPI माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने बुधवार कहा, वामदलों ने 40-45 सीटों पर अपनी तैयारी पूरी कर ली है। जबकि वीआईपी ने साफ कहा कि उनने मार्च में ही तय कर लिया था कि उनकी पार्टी 60 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। वीआईपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में यह फैसला लिया गया था। हालांकि, उनने यह भी जोड़ा कि गठबंधन की बैठक में इस पर अंतिम सहमति बनेगी। उस दौरान 2-4 सीटों में फेरबदल संभव है।

उधर, कांग्रेस इस बार 70 से अधिक सीटों पर दावा कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि वह पहले से काफी मजबूत हैं। कांग्रेस से राहुल गांधी और कन्हैया कुमार इसके लिए खूब मेहनत कर रहे हैं। राहुल गांधी महागठबंधन में एनडीए फार्मूला लागू करना चाहते हैं। यानी दो बड़े घटक दलों के बीच 50-50 के आधार पर सीटों का बंटवारा होना चाहिए।

महागठबंधन में राजद सबसे मजबूत, सबकों साथ रखने की तेजस्वी की बड़ी जिम्मेदारी

बिहार में महागठबंधन में सबसे मजबूत राजद है। तेजस्वी यादव को सभी घटक दलों को संतुष्ट करने और एकजुट रखने की जिम्मेदारी है। 2020 विधानसभा चुनाव में वीआईपी के मुकेश सहनी के साथ जिस तरह से तेजस्वी ने किया था, उससे खासकर मुकेश सहनी अभी तेजस्वी पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। इसलिए बार बार मुकेश सहनी शीट शेयरिंग का मुद्दा उठाते हैं।

कांग्रेस के साथ भी अटक रही बात

राजद शुरू से 150 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थी, लेकिन कांग्रेस के मजबूत होने और सहनी के महागठबंधन में शामिल होने के बाद तेजस्वी अब 130-140 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। उम्मीद जताई जा रही है कि मुकेश सहनी को इस बार निराश नहीं किया जायेगा।

वाम दल को 2020 के आधार पर सीट मिलेगी। असल मसला कांग्रेस के साथ फंसा है। कांग्रेस 70 प्लस और जिताऊ सीटें मांग रही है। सीट बंटवारे को लेकर जारी तनातनी ने महागठबंधन की एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर दलों के बीच सहमति नहीं बनी, तो इसका सीधा असर चुनाव के रिजल्ट पर पड़ सकता है।

2020 विधानसभा चुनाव की ​स्थिति

2020 विधान सभा चुनाव में राजद ने 144, कांग्रेस ने 70, CPI माले ने 19, CPI ने 6 और CPM ने 4 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। महागठबंधन को केवल 110 सीटों पर जीत मिली। इसमें राजद की 75, कांग्रेस की 19 और सीपीआई माले ने 12 सीटें जीती थीं। वहीं, ओबैसी की एआईएमआईएम से जीते पांच विधायक में से 4 बाद में राजद में शामिल हो गए थे। इससे राजद विधायकों की संख्या 79 हो गई थी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने से इनमें से चार विधायकों ने पाला बदल लिया। वहीं, उपचुनाव में राजद दो सीटें हार गई। इससे अब राजद विधायकों की संख्या 73 बची है। दूसरी तरफ कांग्रेस के दो विधायक भी पाला बदलकर एनडीए में शामिल हो गए। इससे कांग्रेस विधायकों की संख्या 17 रह गई है। मुकेश सहनीमहागठबंधन से अलग होकर एनडीए में शामिल हुए थे।​ बाद में वह फिर से महागठबंधन में शामिल हो गए।

भाजपा डाल रही सहनी पर डोरे!

विधान सभा चुनाव से पहले भाजपा मुकेश सहनी पर डोरे डाल रही है। भाजपा ने उनके लिए एनडीए का दरवाजा खुला रखा है। इसकी वजह भी है। असल में मुकेश सहनी खुद को 14 फीसदी मल्लाह वोट का प्रतिनि​धि होने का दावा करते हैं। जबकि दूसरे दलों का कहना है कि मल्लाह वोट बैंक बिहार में सात फीसदी के करीब है। उधर, 2023 में बिहार की जातीय जनगणना के मुताबिक, मल्लाह जाति की आबादी 34 लाख है। यह आंकड़ा बिहार की कुल आबादी का 2.6 फीसदी है।

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