नई दिल्ली: दिल्ली की गर्मियों में पानी की कमी बड़ी चुनौती बनी है। इस वक्त दिल्ली इससे परेशान भी है। लेकिन संकट के मौजूदा दौर में रोशनी भी नजर आती है।
दक्षिणी दिल्ली के वन संरक्षक का दावा है कि 2024-25 के मानसून सीजन में 10 जल निकायों में 5.05 अरब लीटर से अधिक पानी का संग्रह किया गया है। इसकी रिपोर्ट NGT को सौंपी गई है। इससे न सिर्फ जल संकट से निपटने में मदद मिली है, बल्कि जैव विविधता को बढ़ावा देने वाले स्वस्थ पर्यावासों को बनाए रखने में भी योगदान मिला है।
एनजीटी ने लिया मामले का स्वतः संज्ञान
रिपोर्ट के अनुसार, यह सभी 10 जल निकाय असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य में स्थित हैं। इन आंकड़ों को आधिकारिक रिकॉर्ड में शामिल करने के लिए नम भूमि प्राधिकरण को भी सूचित कर दिया गया है। यह मामला एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर है। इसके बाद एनजीटी ने 6 दिसंबर, 2024 को स्वत: संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों को प्रगति रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया था।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि दिल्ली वन एवं वन्यजीव विभाग के तहत असोला वन्यजीव अभयारण्य और दक्षिणी वन प्रभाग ने 2024 के मानसून के दौरान नम भूमि के पुनर्जनन के जरिए जल संरक्षण की रणनीति तैयार की। सर्वेक्षण और मानचित्रण के बाद विभाग को मानसून के अंत तक लगभग 8 लाख करोड़ लीटर पानी संरक्षित करने की उम्मीद है। इसके लिए दक्षिणी दिल्ली के वन क्षेत्रों में 10 प्रमुख नम भूमियों की पहचान की गई।
जल निकायों के स्थान का चयन कई चरणों में हुआ
जल निकाय निर्माण की प्रक्रिया रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में पानी की कमी को देखते हुए मैदान गढ़ी, साहूपुर और सतबारी जैसे क्षेत्रों में 10 नए जल निकायों के निर्माण का फैसला लिया गया। दक्षिणी वन संरक्षक ने बताया कि जल निकायों के स्थान का चयन कई चरणों में किया गया। पहले चरण में दक्षिणी वन प्रभाग के कर्मचारियों ने क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति का गहन विश्लेषण किया, जिसके आधार पर उपयुक्त स्थानों का चयन हुआ।
दिल्ली को कितने पानी की जरूरत
दिल्ली की जल आवश्यकता वर्तमान में दिल्ली की जनसंख्या को देखते हुए प्रतिदिन 828 मिलियन गैलन (एमजीडी) पीने योग्य पानी की जरूरत है। दसवीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक यह मांग बढ़कर 1050 एमजीडी तक पहुंचने की संभावना है।
दिल्ली जल बोर्ड वर्तमान में अपने संसाधनों से, जिसमें 81 एमजीडी भूजल शामिल है, लगभग 660 एमजीडी पानी की आपूर्ति कर रहा है। यह आपूर्ति मांग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है, जिसके चलते प्रतिदिन 168 एमजीडी पानी की कमी बनी हुई है।