गया: आधी सदी तक नक्सलियों की गिरफ्त में रहे गया स्थित लुटुआ के कैनाल मैन के नाम से मशहूर 71 वर्षीय लौंगी भुइयां एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार वजह बनी है, उनकी शादी। विधुर जीवन गुजार रहे लौंगी जल्द ही शादी करने वाले हैं। इसकी तैयारियां जोरों पर हैं। परिवार वालों की भी इसमें रजामंदी है।
लौंगी देश-दुनिया में कैनाल मैन के नाम से इसलिए मशहूर हैं कि तीन-चार साल पहले पत्थरों का सीना चीर कर तीन किमी लंबी कैनाल बना डाली थी। इस नहर को बनाने में उनको 30 साल लगे थे। अकेले की मेहनत के बाद उनको इसमें कामयाबी मिली थी। इसकी चर्चा देश-दुनिया में हुई थी। इसके बाद आनंद महिंद्रा ने ट्रैक्टर गिफ्ट किया था। कैनाल मैन की दिनचर्या अब भी सुबह सूर्योदय के पहले शुरू होती है।
तीन साल पहले सुर्खियों में आए लौंगी
गया जिला मुख्यालय से करीब 90 किमी दूर बांके बाजार प्रखंड की लुटुआ पंचायत के कोठिलवा गांव की एक झोपड़ी में रहने वाले लौंगी भुइयां के कारनामे पर एक हिन्दी दैनिक के स्थानीय पत्रकार की नजर तब पड़ी थी। उस वक्त उन्होंने करीब तीन किमी लंबी कैनाल अकेले अपने दम पर खोदकर पहाड़ों से निकलने वाले पानी को खेतों में पहुंचाने का इंतजाम किया था। सिंचाई साधनों की कमी से जूझने वाले इस इलाके में लौंगी भुइयां के इस कारनामे से स्थानीय लोगों की उम्मीदें भी हिलोरें लेने लगी थी। इसका फायदा भी स्थानीय स्तर पर मिल रहा है।

नक्सली के नैहर के रूप में चर्चित था लौंगी का लुटुआ इलाका
पिछली सदी के उत्तरार्ध से नक्सलियों की गिरफ्त में रहे लुटुआ इलाके में सरकारी कर्मियों का आना-जाना भी कम ही होता था। उस पर नक्सली लीडर संदीप यादव (अब उसकी मौत हो गई है) का इस इलाके में घर होने के कारण समूचे इलाके को नक्सली का नैहर भी कहा जाता था।
अधिकारियों-नेताओं के इस इलाके से दूर रहने के कारण सिंचाई के लिए जल तो क्या, लोगों को शुद्ध पेयजल भी मिलना मुश्किल था। सड़क के बगैर लोगों का पगडंडियों से आना जाना होता था। स्कूल-अस्पताल का भी कोई प्रबंध नहीं था। विकास की तमाम कवायद से दूर रहे इस इलाके में 2015 के बाद निर्माण का काम तब शुरु हुआ, जब लुटुआ में थाना बना और पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई। उसके बाद ही सड़कें बनीं। बिजली का प्रबंध हुआ और स्कूल भवन का भी निर्माण किया गया।
जल संरक्षण और मछली पालन के लिए खोद रहे तालाब
कैनाल खोद कर सुर्खियों में आए लौंगी अब जंगल की जमीन पर दो बड़े तालाब खोदकर जल संरक्षण की सरकार की मुहिम के मददगार बने हैं। वह गांव के लोगों के साथ मिलकर मछली पालन का सहकारी व्यवसाय करना भी चाहते हैं। लौंगी का मानना है कि पहाड़ से बारिश के दिनों में गिरने वाला तमाम जल बर्बाद हो जाता है। इसे रोकने से न सिर्फ भूजल रिचार्ज होगा, मछली पालन से युवकों को रोजगार और पौष्टिक आहार भी मिलेगा।
जीवन साथी की कमी से परेशान लौंगी
बेहद कम-पढ़े लिखे लौंगी भुइयां की पत्नी रामरती देवी का दो साल पूर्व देहांत हो गया था। तब से वह बेटे-बहुओं और पोते-पोतियों के साथ रहते हैं। लौंगी बताते हैं कि पत्नी के बगैर उनके खाने-पीने में भी परेशानी है। बेटे-बहु उनका ख्याल तो रखते हैं, मगर जीवन साथी की कमी से वह बेहद परेशान हैं।
उन्होंने अपने इरादे का मुखर इजहार करते हुए कहा कि जीवन साथी की उनकी तलाश पूरी हो चुकी है। कुछ किलोमीटर के फासले पर ही रहने वाली एक प्रौढ़ा से वह शादी करने का मन बना चुके हैं। रिश्ता पक्का हो चुका है। परिवार के लोग भी राजी हैं। बस उन्हें केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी से सहमति लेनी है। उन्हें वह अपना अभिभावक मानते हैं। इधर गांव और आसपास के लोगों के बीच लौंगी मांझी की दोबारा होने वाली शादी के किस्से चटखारे लेकर कहे-सुने जा रहे हैं।
शादी के सवाल पर परिवार रजामंद
लौंगी भुइयां के शादी के इरादे को लेकर पूछे गए एक सवाल पर उनकी पुत्रवधू झेंपती हुई कहती है कि उसे कुछ नहीं मालूम। परिवार के अन्य सदस्य कहते हैं कि उनकी शादी से किसी को कोई दिक्कत नहीं है। इस बीच आस-पास के लोग कहते हैं कि लौंगी मांझी को गिफ्ट में मिले ट्रैक्टर के भाड़े से कमाई हो रही है। परिवार के लोग भी उनके इस कारनामे पर गर्व करते हैं।