कभी बारिश, कभी दमघोटू हवा, गंदा पानी… दिल्ली बेहाल है

दिल्ली बेहाल है। रविवार तेज बारिश से। और पहले कभी दमघोंटू हवा, गंदे पानी से। ऐसा साल भर लगा रहता है। ऊंची इमारतें, चौड़ी सड़कें तो बनी, लेकिन दिल्ली को मिली, भीड़ और धूल की सौगात। ध्वनि, वायु व जल प्रदूषण से लोग त्रस्त हैं। और क्या दिल्ली? पूरी दुनिया का हाल भी कमोबेश यही है। समाधान नहीं मिल रहा है। चिंता सबमें है, लेकिन यह समझने को कोई तैयार नहीं कि समस्या खुद हमीं ने खड़ी की है।

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हमने इनकी चिंता कभी की ही नहीं। की तो सिर्फ अपनी। हम भूल गए कि मनुष्य की जिंदगी, जमीन, जल, जंगल, जानवर, पशु, पेड़, पहाड़, पड़ोस, परिवार इन सबसे मिली हुई है।

किया क्या? इन सबकी कीमत पर सिर्फ मनुष्य का ध्यान रखा। समग्र दृष्टिकोण की कमी रही।

मिला क्या? मिलना था, स्थायित्व के साथ समृद्धि और शांति। पैमाना यही है विकास का। लेकिन तीनों ही पैमानों पर दुनिया झुलस रही है। समाधान मिल नहीं रहा है। हर तरफ समस्याएं ही समस्याएं हैं। आजीविका का संकट हर ओर है। सब अपनी-अपनी समस्या में अकेले रो रहे हैं।ऐसी स्थिति में हम जिस राह पर चलते आ रहे हैं, उसको दुरुस्त करने की जरूरत है। अभी हमने प्रकृति की कीमत पर मनुष्य का ध्यान रखा है। अब इसे बदलने की जरूरत है। हमें प्रकृति का ध्यान रखना है। मनुष्य की कीमत पर तो नहीं, इसके साथ–साथ। प्राथमिकता में प्रकृति हो। यही आज की जरूरत है।

कैसे करें? अकेले में जितना कर सकते हैं, वह करें ही करें। साथ में समाज की परंपराओं साथ मिलकर भी जीने की भी कोशिश करें। वैसी परंपराओं की, जिसमें इंसान भी प्रकृति का अंग रहा है।

अब तो दुनिया के लोग भी मानने लगे हैं कि 200 साल पहले तक भारत दुनिया का सबसे धनी देश था। ताकत अभी भी बहुत बची है। हम सब फिर से उठ जाएंगे। और शांति, समृद्धि तथा सातत्य तीनों में सफल हो जाएंगे।

यह अकेले नहीं होगा‌। समाज के तौर पर, सरकार के साथ बातचीत से आगे बढ़ना है‌। प्रकृति की चिंता करनी है। कोई छूटे नहीं, एक नहीं, अकेले नहीं, इकट्ठा दिखें। इसी में हम सबका, प्रकृति का कल्याण है। हम फिर से सुखी होंगे, तनाव मुक्त होंगे।

Suman

santshukla1976@gmail.com http://www.newgindia.com

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