आप देखेंगे कि एकदम विपरीत धाराओं के साथ भारत सहस्राब्दियों से चलता आया है। दिखता यह नार्थ-साउथ पोल की तरह है। अपवादों को छोड़ दें तो इतने विपरीत होने के बाद भी इनमें कोई बड़ा विरोध, टकराव व संघर्ष नहीं है। इनका साथ लंबे समय से बना हुआ है।
दुनिया में शायद ऐसा कहीं भी नहीं। ताकत इसको वैचारिक स्वतंत्रता से मिली दी है। महत्वपूर्ण यहां विचार है, इसमें विचारधाएं आती-जाती रहीं हैं। इसमें सवाल इतने भर नहीं कि हम सहिष्णु हैं। इससे बड़ी बात सत्य से अनुराग की है। हममें सच को सच जानने, मानने और कह जाने की ताकत है। यह हमें बखूबी पता है कि अगर हम सत्य का मार्ग छोड़ देंगे तो चुनाव का कौन सा मार्ग शेष बचेगा?
तभी समझ इसकी हममें गहरी बन सकी कि सही सिर्फ हमीं नहीं, दूजे भी हैं। सच को जाहिर करने के तरीके सबके अपने हैं, ‘एकम् सत् विप्रा बहुधा वदन्ति।’ वजह भी यही है, जिसमें भारतीय संस्कृति दीर्घजीवी हो सकी है। आचरण में होने के साथ ही यह देर तक सत्य पर टिकी रही। क्योंकि संस्कृति सत्यनिष्ठ जीवन मूल्य हैं। और सत्य में अटूट निष्ठा इसके बचे रहने की बुनियादी शर्त है।
NewG India भारत भूमि के सत्य के इसी अनुराग से प्रतिबद्ध है। जैसा भी है, जो भी है, अगर वह सच है तो आपके सामने लाना हमारी जिम्मेदारी है। अन्यथा व्यक्ति, व्यक्ति से बने समाज का टिक पाना मुश्किल है। राजनीति, अर्थ नीति व धर्म नीति भी ‘व्यक्ति विशेषों’ का हितसाधन करेगी।
धन्यवाद