नई दिल्ली: इससे पहले शनिवार, 17 मई केंद्र सरकार ने 59 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की घोषणा की। इसमें 51 सदस्य अलग-अलग दलों के नेता और आठ राजदूत हैं। इसमें भाजपा समेत एनडीए के घटक दलों से 31 सदस्य हैं। जबकि 20 सदस्य कांग्रेस समेत दूसरे दलों से हैं। सरकार ने जो जानकारी दी है, उसमें प्रतिनिधिमंडल की रवानगी की तारीख अभी तय नहीं है।
केंद्र सरकार ने प्रतिनिमंडल का सात समूहों में बांटा है। तीन समूह में नौ सदस्य हैं और चार में आठ। हर समूह में सांसद, पूर्व केंद्रीय मंत्री व राजदूत शामिल हैं। पहले समूह की अनुगवाई कांग्रेस सांसद शशि थरूर करेंगे। वहीं, दूसरे का भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद। जदूय नेता संजय कुमार झा, भाजपा नेता बैजयंत पांडा, डीएमके नेता कनिमोझी करुणानिधि, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले व शिव सेना नेता श्रीकांत एकनाथ शिंदे अन्य समूहों को नेतृत्व करेंगे। हर प्रतिनिधिमंडल में न्यूनतम एक मुस्लिम सदस्य भी रखा गया है।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने एक्स पर लिखा- एक मिशन, एक संदेश, एक भारत। सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जल्द ही ऑपरेशन सिंदूर के तहत प्रमुख देशों से मिलेंगे, जो आतंकवाद के खिलाफ हमारे सामूहिक संकल्प को दिखाता है।
One mission. One message. One Bharat 🇮🇳
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) May 17, 2025
Seven All-Party Delegations will soon engage key nations under #OperationSindoor, reflecting our collective resolve against terrorism.
Here’s the list of MPs & delegations representing this united front. https://t.co/1igT7D21mZ pic.twitter.com/3eaZS21PbC
कांग्रेस के सुझाए चार नामों में एक शामिल
कांग्रेस ने चार कांग्रेस नेताओं के नाम इसके लिए सुझाए थे। इसमें शशि थरूर शामिल नहीं थे। कांग्रेस की लिस्ट में आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नसीर हुसैन और अमरिंदर सिंह राजा वडिंग के नाम थे। केंद्र सरकार ने इसमें से आनंद शर्मा को जगह दी है। इस फैसले की कांग्रेस ने आलोचना भी की है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा- शुक्रवार, 16 मई संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और विपक्ष के नेता राहुल गांधी से बात की थी। उन्होंने विदेश भेजे जाने वाले प्रतिनिधिमंडल के लिए चार नाम मांगे थे।
उधर, शशि थरूर ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी मिलने पर केंद्र सरकार का आभार। सम्मानित महसूस कर रहा हूं। जब राष्ट्रीय हित की बात होगी और मेरी सेवाओं की जरूरत होगी तो मैं पीछे नहीं रहूंगा।
I am honoured by the invitation of the government of India to lead an all-party delegation to five key capitals, to present our nation’s point of view on recent events.
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) May 17, 2025
When national interest is involved, and my services are required, I will not be found wanting.
Jai Hind! 🇮🇳 pic.twitter.com/b4Qjd12cN9
पहले भी विदेश भेजा है प्रतिनिधिमंडल
1994 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) में विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीर मुद्दे पर भारत का पक्ष रखा था। इस प्रतिनिधिमंडल में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद भी शामिल थे। उस वक्त पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार के कथित उल्लंघन पर यूएनएचआरसी में एक प्रस्ताव रखने की तैयारी कर रहा था। भारतीय प्रतिनिधिमंडल के जवाब से पाकिस्तान को प्रस्ताव वापस लेना पड़ा।
2008 में मुंबई हमलों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजा। इसके बाद पाकिस्तान पर लश्कर-ए-तैयबा समेत दूसरे आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने का अंतरराष्ट्रीय दबाव बना। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और वित्तीय एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को पहली बार ग्रे लिस्ट में डाला था।